तेरी फ़ितरत धोखा है...

"गर तेरी फितरत धोखा है तो प्यार मेरी मजबूरी है"

वो चाँद नहीं दिखता छत से शायद अब रात घनेरी है
वो साफ नज़र ही आये न उसके दिल में कुछ दूरी है।
जिससे तू दिल को बाँध रही वो धागा कच्ची डोरी है,
मैं तेरे बिना अधूरा हूँ तू मेरे बिन कब पूरी है,
गर तेरी फितरत धोखा है तो प्यार मेरी मजबूरी है।

जिस डोर से हम तुम बंधे रहे छोड़ी नहीं तुमने तोड़ी है,
वो डोर कहीं भी जोड़ी हो पर गाँठ लगा के जोड़ी है।
मैंने जख्मों को सिये नहीं शायद तेरी आह जरूरी है,
गर तेरी आदत ठग लेना है तो विश्वास मेरी कमजोरी है,
गर तेरी फितरत धोखा है तो प्यार मेरी मजबूरी है।

गर तेरे दिल में चोर नहीं तो आँख क्यूँ मुझसे फेरी है,
माना ये तेरी कमजोरी है, पर की तो तूने चोरी है।
तूने जज्बातों से खेला है पर मुझको आज सबूरी है,
जिसके बाँहों में आज तू है उसके चाहों में कोई और ही है,
जो भी है किया मेरे संग में वो तेरे संग भी जरूरी है,
गर तेरी फितरत धोखा है तो प्यार मेरी मजबूरी है।

अभिषेक सिंह।
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