'माँ'
तू ही तू ,तू ही तू माँ तू ही तू.........
मेरी जिंदगी बस तू ही तू,
मेरी बंदगी बस तू ही तू,
मेरी माँ तू मेरी जान है,
मेरी हर ख़ुशी बस तू ही तू,
तू ही तू ,तू ही तू माँ तू ही तू.........
तू ही तू ,तू ही तू माँ तू ही तू.........
मेरी जिंदगी बस तू ही तू,
मेरी बंदगी बस तू ही तू,
मेरी माँ तू मेरी जान है,
मेरी हर ख़ुशी बस तू ही तू,
तू ही तू ,तू ही तू माँ तू ही तू.........
आँचल ही तेरा छाँव हो,
मेरा सर जहाँ तेरे पाँव हों।
मेरी माँ तू मेरा जहाँन है,
तेरी हर ख़ुशी मेरे दाँव हो।
तेरे रूह की मैं आरज़ू ....
तू ही तू ,तू ही तू माँ तू ही तू.........
मेरा सर जहाँ तेरे पाँव हों।
मेरी माँ तू मेरा जहाँन है,
तेरी हर ख़ुशी मेरे दाँव हो।
तेरे रूह की मैं आरज़ू ....
तू ही तू ,तू ही तू माँ तू ही तू.........
तुम मेरे अल्लाह राम हो,
तेरी हर दुवा मेरे नाम हो,
मेरी माँ तू मेरी आयतें,
तुम मेरी चरों धाम हो।
मेरी साँसे तुमसे ही शुरू........
तू ही तू ,तू ही तू माँ तू ही तू.........
तेरी हर दुवा मेरे नाम हो,
मेरी माँ तू मेरी आयतें,
तुम मेरी चरों धाम हो।
मेरी साँसे तुमसे ही शुरू........
तू ही तू ,तू ही तू माँ तू ही तू.........
तुम मेरी हो आराधना,
तुम मेरी पूजा वंदना।
मेरी माँ तू मेरी तकदीर है,
तुम मेरे भाल की चन्दना।
मैं शरीर हूँ तू मेरी रूह.........
तू ही तू ,तू ही तू माँ तू ही तू.........
तुम मेरी पूजा वंदना।
मेरी माँ तू मेरी तकदीर है,
तुम मेरे भाल की चन्दना।
मैं शरीर हूँ तू मेरी रूह.........
तू ही तू ,तू ही तू माँ तू ही तू.........
इस मार्मिक कविता के लेखक
अभिषेक सिंह
अभिषेक सिंह
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