चल करें ये दिल जो बोले सारी चिंता भूल कर,
हम बहें मद मस्त होकर मस्ती में ही झूल कर।
जो हैं मुर्झाये हुये वो फूल गिर जाये गे ही,
जिनमें भारीपन बचा न वो तो उड़ जाये गे ही।
कुछ उड़े गी रेत रिश्तों को दफन कर जाये गी,
कुछ उड़े गी धूल तुमपे वो कफ़न बन जाये गी।
हो परिष्कृत आप जिसमें पुन्य करना बंद कर दो,
जो न तर्कों में साधे वो जाप करना बंद कर दो,
जो कहें बस मैं ही सच्चा उसमें सच्चाई नहीं,
जो कहें बस मैं ही अच्छा उसमें अच्छाई नहीं।
वो तो रिश्ते ही नहीं हैं जिसमें गहराई नहीं।
वो मोहब्बत ही नहीं है जिसमें रुसवाई नहीं।
जो हैं दिल के पास जितनें उतनी जल्दी रूठते,
जो हो सबसे खास अक्सर सबसे जल्दी टूटते।
जो हमारी नींद ले ले वो ही बस सपना हुवा,
जो हृदय की पीर समझे वो ही बस अपना हुवा।
अभिषेक सिंह।
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