Example of Lateral thinking in hindi

दोस्तों lateral think एक बहुत बड़ा topic है कई समीक्षकों ने lateral think को defind किया है। ये एक ऐसी सोच है जिसको problems को indirectly और creative ढंग से solve करती है। lateral  thinking के बहुत से examples है।
       कानपुर  में एक बड़ी factory का निर्माण हो रहा था और उस plant को बनाने के दौरान एक बड़ी समस्या थी.


वो समस्या ये थी कि एक भारी भरकम machine को plant में बने एक गहरे गढ्ढे के तल में बैठाना था लेकिन machine का भारी वजन एक चुनौती बन कर उभरा। बड़े बड़े engineer इस problem को solve नही कर पा रहे थे।

मशीन site पर आ तो गयी पर उसे 30 फीट गहरे गढ्ढे में कैसे उतारा जाये ये एक बड़ी समस्या थी !! अगर ठीक से नहीं बैठाया गया तो foundation और machine दोनों को बहुत नुकसान उठाना पड़ता।
 
    आपको बता दें कि ये वो समय था जब  बहुत भारी वजन उठाने वाली क्रेनें हर जगह उपलब्ध नहीं थीं। जो थीं वो अगर उठा भी लेतीं तो गहरे गढ्ढे में उतारना उनके बस की बात नहीं थी।

Finaly हार मानकर इस problem का solution ढूढ़ने के लिए plant बनाने वाली company ने टेंडर निकाला और इस टेंडर का नतीज़ा ये हुआ कि बहुत से लोगो ने इस machine को गड्ढे में फिट करने के लिए अपने ऑफर भेजे। उन्होंने सोचा कि कहीं से बड़ी क्रेन मंगवा कर मशीन फिट करवा देंगे। इस हिसाब से उन्होंने 25 से 30 लाख रुपये काम पूरा करने के मांगे। लेकिन उन लोगो के बीच एक बनिया था जिसने company से पूछा कि "अगर मशीन पानी से भीग जाये तो कोई समस्या होगी क्या" ?
इस पर कंपनी ने जबाव दिया कि मशीन को पानी में भीग जाने पर कोई फर्क नहीं पड़ता।
उसके बाद उसने भी टेंडर भर दिया ।

जब सारे ऑफर्स देखे गये तो  उस बनिये ने काम करने के सिर्फ 15 लाख मांगे थे , जाहिर है मशीन बैठाने का काम उसे मिल गया.
लेकिन  अजीब बात ये थी कि उस बनिये ने ये बताने से मना कर दिया कि वो ये काम कैसे करेगा, बस इतना बोला कि ये काम करने का हुनर और सही टीम उसके पास है।
उसने कहा – कम्पनी बस उसे तारीख और समय बतायें कि किस दिन ये काम करना है।

आखिर वो दिन आ ही गया. हर कोई उत्सुक था ये जानने के लिए कि  ये बनिया काम कैसे करेगा ? उसने तो साईट पर कोई तैयारी भी नहीं की थी। तय समय पर कई ट्रक उस साईट पर पहुँचने लगे। उन सभी ट्रकों पर बर्फ लदी थी, जो उन्होंने गढ्ढे में भरना शुरू कर दिया।

जब बर्फ से पूरा गढ्ढा भर गया तो उन्होंने  मशीन को खिसकाकर बर्फ की सिल्लियों के ऊपर लगा दिया।
इसके बाद एक पोर्टेबल वाटर पंप चालू किया गया और गढ्ढे में पाइप डाल दिया जिससे कि पानी बाहर निकाला जा सके. बर्फ पिघलती गयी, पानी बाहर निकाला जाता रहा, मशीन नीचे जाने लगी।

4-5 घंटे में ही काम पूरा हो गया और कुल खर्चा 1 लाख रुपये से भी कम आया।

 मशीन एकदम अच्छे से फिट हो गयी और उस बनिये ने 14 लाख रुपये से अधिक मुनाफा भी कमा लिया।

वास्तव में बिज़नेस बड़ा ही रोचक विषय है.
 ये एक कला है, जो व्यक्ति की सूझबूझ, चतुराई और व्यवहारिक समझ पर निर्भर करता है*.
*मुश्किल से मुश्किल समस्याओं का भी सरल समाधान खोजना ही एक अच्छे बिजनेसमैन की पहचान है* 
दोस्तों भारत मे horizontal और vertical thinking रखने वालों की भरमार है but अब जरूरत है lateral thinking की...
Be positive and Be lateral

तेरी फ़ितरत धोखा है...

"गर तेरी फितरत धोखा है तो प्यार मेरी मजबूरी है"

वो चाँद नहीं दिखता छत से शायद अब रात घनेरी है
वो साफ नज़र ही आये न उसके दिल में कुछ दूरी है।
जिससे तू दिल को बाँध रही वो धागा कच्ची डोरी है,
मैं तेरे बिना अधूरा हूँ तू मेरे बिन कब पूरी है,
गर तेरी फितरत धोखा है तो प्यार मेरी मजबूरी है।

जिस डोर से हम तुम बंधे रहे छोड़ी नहीं तुमने तोड़ी है,
वो डोर कहीं भी जोड़ी हो पर गाँठ लगा के जोड़ी है।
मैंने जख्मों को सिये नहीं शायद तेरी आह जरूरी है,
गर तेरी आदत ठग लेना है तो विश्वास मेरी कमजोरी है,
गर तेरी फितरत धोखा है तो प्यार मेरी मजबूरी है।

गर तेरे दिल में चोर नहीं तो आँख क्यूँ मुझसे फेरी है,
माना ये तेरी कमजोरी है, पर की तो तूने चोरी है।
तूने जज्बातों से खेला है पर मुझको आज सबूरी है,
जिसके बाँहों में आज तू है उसके चाहों में कोई और ही है,
जो भी है किया मेरे संग में वो तेरे संग भी जरूरी है,
गर तेरी फितरत धोखा है तो प्यार मेरी मजबूरी है।

अभिषेक सिंह।

जीवन का रहस्य(The Secret Of Life) Part-1

प्रस्तावना (Introduction)
      अतीत में जिन लोगों को रहस्य(secret) के बारे में जानकारी थी, वे इसकी power को स्वयं तक ही सीमित रखना चाहते थे। जिसकी वजह से power of secret समय से लोगों तक नहीं पहुंच सका।
      आजकल आम लोग काम धंधे पर जाते हैं और दिनभर गधों की तरह काम करते हैं और फिर थक हारकर शाम को घर लौट आते हैं। कुछ इसी प्रकार का daily routeen उनका जीवन भर चलता रहता है। क्योंकि बहुतों को इसकी जानकारी ही नहीं है और जिस को इधर उधर से जानकारी मिली भी वह खुद को इतना बुद्धिमान समझते थे या है कि उन्होंने कभी रहस्य का अपने जीवन में प्रयोग करना उचित नहीं समझा। अर्थात रहस्य के बारे में सिर्फ कुछ लोगों को ही ज्ञात था। ऐसे लोगो के नाम जानने की जिज्ञासा शांत करने के लिए जब हमने इतिहास टटोला तो आश्चर्यजनक result सामने आए।
  
    यह जानकर आपको हैरानी होगी कि जब हमने इतिहास को टटोला तो हमे उन महानतम व्यक्तियों के नाम ज्ञात हुए जिन्हें यह रहस्य का ज्ञान था और उन्होंने life time इसका अमल करके सब कुछ हासिल भी कर लिया इतिहास के वे महापुरुष थे प्लेटो, शेक्सपियर, न्यूटन, आइंस्टीन, चाणक्य, एडिशन, स्वामी विवेकानंद, इत्यादि।
आखिर क्या है "रहस्य"?
What is the secret of life?
हम सभी ब्रह्मांड के अभिन्न अंग हैं और एक ही ultimate power से काम करते हैं उसको energy कहते हैं
👉ब्रह्मांड में दो प्रकार के नियम कार्य करते हैं
1.गुरुत्वाकर्षण का नियम
     (Law of Gravity)
2.आकर्षण का निय
     (Law of Attraction)
         ये नियम ब्रह्मांड की हर वस्तु पर इतनी सटीकता से कार्य करते हैं कि इसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते। हम जिस रहस्य की चर्चा कर रहे हैं वह है..
"आकर्षण का नियम"
(Law of Attraction)
     Internet पर आपको इस subject से related कई video और aticles मिल जाएंगे हर किसी ने Law of attraction को अपनी बुद्धिमता के आधार पर समझाने का प्रयास किया है । यहां हम भी कुछ ऐसा ही करने जा रहे हैं।
     आपके जीवन में जो भी चीजें आ रही हैं या घटित हो रही हैं दरअसल आप उन्हें अपनी ओर attract कर रहे हैं। अर्थात जो भी आप सोच रहे हो यानी जो आपके mind में चल रहा है उसे आप धीरे-धीरे अपनी ओर attract कर रहे हैं। अगर हम इसको एक sentance में explain करे तो कुछ इस प्रकार समझ सकते है...
"आपका हर एक विचार आपके साथ भविष्य में घटित होने वाली एक वास्तविक घटना है।"
यदि आप भावनाओं को भली-भांति समझ रहे हैं तो यहां पर यह स्पष्ट हो गया है कि आपको कैसे विचार सोचने चाहिए जिससे आपके साथ वैसा ही घटित हो।
यह जीवन का रहस्य( secret of life) हर धर्म में मौजूद है। इसे सदियों पुराने ग्रंथों में पढ़ा भी जा सकता है। यह law समय के साथ शुरू हो गया था। आप यकीन करें या ना करें किंतु इसका अस्तित्व हमेशा था और हमेशा ही रहेगा। सही मायने में आकर्षण का नियम ही आपके समूचे जीवन के अनुभवों को आकार देता रहा है।
अतः इस रहस्य को समझें, मनन करें और law of attraction  को active करें और अपने  जीवन को एक नया आयाम दें ।
आकर्षण के नियम को कैसे सक्रिय करें?
आप दिन में कई बार कोई ऐसी चीज के बारे में सोंचते होंगे जिससे जिससे आप खुश नहीं हो। आप उसके बारे में जितना ज्यादा सोचते हो वह उतनी ही ज्यादा बुरी लगने लगती है।
क्या आपने सोचा🤔 ऐसा क्यों हो रहा है।
शायद नही!
तो अब सोचना शुरू कर करें !!
      ऐसा इसलिए हो हुआ क्योंकि जब आप लगातार एक ही विचार सोचते हैं और इतनी प्रबलता से सोचते हैं कि उस विचार की intensity कई लाख गुना बढ़ जाती है और law of attraction तत्काल active हो जाता है। परिणामस्वरूप आप उसी जैसे विचारों को अपनी ओर attract करने लगते हैं। बाद में यही विचार वास्तविक घटना का रूप लेकर आपके साथ घटित होने लगते हैं।
     इसका अभिप्राय बस इतना ही है की आपका वर्तमान जीवन आपके पुराने विचारों का प्रतिबिंब है। यदि आप वर्तमान में खुश नहीं हैं तो सबसे पहले खुद के विचारों को नियंत्रित करें । वे विचार अपने दिमाग में स्थापित करें जिन्हें आप चाहते हैं क्योंकि विचार ही हकीकत में बदलेंगे चाहे विचार नकारात्मक हो या सकारात्मक।
यकीन करें अब आप रहस्य सीख रहे हैं और इस पर अमल करना शुरू करें......

जारी है...
(Please wait until Part-2)

एक सच..

एक सच..

'एक सच'

ज़िन्दगी मौत के आगोश में खो रही थी,
सब खड़े असीम दुःख में रो रहे थे,
और वो बेफिक्र पड़ी सो रही थी।
न तो किसी अपनें का इन्जार था उसे
और न ही किसी से भी प्यार था उसे।
इस तरह मौत के आगे बेफिक्र पड़ी थी वो,
अभी तक वो सिर्फ रिश्ते ढो रही थी।
ज़िन्दगी मौत के आगोश में खो रही थी।

जिंदगी न जानें किस घमण्ड चूर थी,
सब कुछ यहीं छूट जाये गा मालूम था उसे,
फिर भी न जानें क्यूँ वो इतनी मगरूर थी।
जानती थी मृत्यु के आगे ढह जाना था उसे,
फिर भी न जानें क्यूँ वो इतनी ज्यादा क्रूर थी।
साँस जब तक चली वो सब समेटती रही,
मौत के बाद वो हर इक चीज उससे बहुत दूर थी।
मौत जिंदगी के सपनें सँजो रही थी,
ज़िन्दगी मौत के आगोश में खो रही थी।

मौत के बाद सायद अब जिंदगी को आराम है,
अब उसकी खोपड़ी पे चढ़े सारे बोझ गिर गए,
जिंदगी के मत्थे बचा अब नहीं कोई काम है।
हरदम हाय हाय की रट लगाती रह गयी ज़िन्दगी,
अब किसी के जुबाँ पे भी नहीं तेरा नाम है।
तुझे लगता था कि तू रुकी तो सब ठहर जायेगा,
आ के देख यहाँ पे सब कुछ चल रहा अविराम है।
जिन को देख के तू इठलाती रही वे सब झूठे हैं,
सच है अगर कुछ तो वो केवल सत्य राम नाम है।आज देखो ज़िन्दगी पूरी हो रही थी,
ज़िन्दगी मौत के आगोश में खो रही थी।

अभिषेक सिंह

प्यार की दस्तक

ये जो दिल में दस्तक दे रहीं वो हैं तेरी परछाइयाँ।
ये दूरियाँ ये फासले मेरे तेरे न दरमियाँ।
तेरी साँसों में मिलकर रहूँ
खो जाऊँ तेरे संग में,
तेरे दिल में हो अपना बसर ,
डूबूँ तेरे हर रंग में।
इस प्यार की बरसात में बहे जाये गी तनहाइयाँ,
ये जो दिल में दस्तक दे रहीं वो हैं तेरी परछाइयाँ।
ये दूरियाँ ये फासले मेरे तेरे न दरमियाँ।
जब दर्द हो तुमको कभी,
तो हमको भी अहसास हो।
अपनी मोहब्बत में हमें ,
कुछ तड़प हो कुछ प्यास हो
आकाश धरती सेे सुनें इस प्यार की ये कहानियाँ,
ये जो दिल में दस्तक दे रहीं वो हैं तेरी परछाइयाँ।
ये दूरियाँ ये फासले मेरे तेरे न दरमियाँ।
मेरे दिल की धड़कन चाहती ,
तुझमें ही धक धक धड़कना।
मेरी आँख यादों में तेरी ,
चाहे है पल पल फड़कना।
सागर की तरह हो हमारे इश्क में मन मौज़ियाँ।
ये जो दिल में दस्तक दे रहीं वो हैं तेरी परछाइयाँ।
ये दूरियाँ ये फासले मेरे तेरे न दरमियाँ।
ख्वाबों में तुझको चुनूँ,
अब तेरे ही सपनें गुनूँ।
रम जाऊँ तुझमें इस कदर,
बस तेरी धुन में मैं रहूँ।
प्रीत की धुन बज रही और सुन रहीं खामोशियाँ,
ये जो दिल में दस्तक दे रहीं वो हैं तेरी परछाइयाँ।
ये दूरियाँ ये फासले मेरे तेरे न दरमियाँ।
तेरी बाहों से पहले कभी
मुझको कहीं न घर मिले,
बस आशियाँ आगोश तेरे,
और कही न दर मिले।
मेेरी जिंदगी की साँस तेरे प्यार की गहराइयाँ,
ये जो दिल में दस्तक दे रहीं वो हैं तेरी परछाइयाँ।
ये दूरियाँ ये फासले मेरे तेरे न दरमियाँ।
अभिषेक सिंह।

जिंदगी

जिंदगी

चल करें ये दिल जो बोले सारी चिंता भूल कर,
हम बहें मद मस्त होकर मस्ती में ही झूल कर।

जो हैं मुर्झाये हुये वो फूल गिर जाये गे ही,
जिनमें भारीपन बचा न वो तो उड़ जाये गे ही।

कुछ उड़े गी रेत रिश्तों को दफन कर जाये गी,
कुछ उड़े गी धूल तुमपे वो कफ़न बन जाये गी।

हो परिष्कृत आप जिसमें पुन्य करना बंद कर दो,
जो न तर्कों में साधे वो जाप करना बंद कर दो,

जो कहें बस मैं ही सच्चा उसमें सच्चाई नहीं,
जो कहें बस मैं ही अच्छा उसमें अच्छाई नहीं।

वो तो रिश्ते ही नहीं हैं  जिसमें गहराई नहीं।
वो मोहब्बत ही नहीं है जिसमें रुसवाई नहीं।

जो हैं दिल के पास जितनें उतनी जल्दी रूठते,
जो हो सबसे खास अक्सर सबसे जल्दी टूटते।

जो हमारी नींद ले ले वो ही बस सपना हुवा,
जो हृदय की पीर समझे वो ही बस अपना हुवा।

अभिषेक सिंह।

मेरी माँ...

'माँ'
तू ही तू ,तू ही तू माँ तू ही तू.........
मेरी जिंदगी बस तू ही तू,
मेरी बंदगी बस तू ही तू,
मेरी माँ तू मेरी जान है,
मेरी हर ख़ुशी बस तू ही तू,
तू ही तू ,तू ही तू माँ तू ही तू.........
आँचल ही तेरा छाँव हो,
मेरा सर जहाँ तेरे पाँव हों।
मेरी माँ तू मेरा जहाँन है,
तेरी हर ख़ुशी मेरे दाँव हो।
तेरे रूह की मैं आरज़ू ....
तू ही तू ,तू ही तू माँ तू ही तू.........
तुम मेरे अल्लाह राम हो,
तेरी हर दुवा मेरे नाम हो,
मेरी माँ तू मेरी आयतें,
तुम मेरी चरों धाम हो।
मेरी साँसे तुमसे ही शुरू........
तू ही तू ,तू ही तू माँ तू ही तू.........
तुम मेरी हो आराधना,
तुम मेरी पूजा वंदना।
मेरी माँ तू मेरी तकदीर है,
तुम मेरे भाल की चन्दना।
मैं शरीर हूँ तू मेरी रूह.........
तू ही तू ,तू ही तू माँ तू ही तू.........
इस मार्मिक कविता के लेखक
अभिषेक सिंह

हिन्दू पुराण(Hindu Puraan)

आधारशिला:-
पुराण शब्द का अर्थ है प्राचीन कथा। पुराण विश्व साहित्य के प्रचीनत्म ग्रँथ हैं। उन में लिखित ज्ञान और नैतिकता की बातें आज भी प्रासंगिक, अमूल्य तथा मानव सभ्यता की आधारशिला हैं। वेदों की भाषा तथा शैली कठिन है। पुराण उसी ज्ञान के सहज तथा रोचक संस्करण हैं। उन में जटिल तथ्यों को कथाओं के माध्यम से समझाया गया है।
पुराणों का विषय नैतिकता, विचार, भूगोल, खगोल, राजनीति, संस्कृति, सामाजिक परम्परायें, विज्ञान तथा अन्य विषय हैं। विशेष तथ्य यह है कि पुराणों में देवा-देवताओं, राजाओ, और ऋषि-मुनियों के साथ साथ जन साधारण की कथायें भी उल्लेख किया गया हैं जिस से पौराणिक काल के सभी पहलूओं का चित्रण मिलता है।
महृर्षि वेदव्यास ने 18 पुराणों का संस्कृत भाषा में संकलन किया है। ब्रह्मा विष्णु तथा महेश्वर उन पुराणों के मुख्य देव हैं। त्रिमूर्ति के प्रत्येक भगवान स्वरूप को छः पुराण समर्पित किये गये हैं। इन 18 पुराणों के अतिरिक्त 16 उप-पुराण भी हैं किन्तु विषय को सीमित रखने के लिये केवल मुख्य पुराणों का संक्षिप्त परिचय ही दिया गया है। मुख्य पुराणों का वर्णन इस प्रकार हैः-
1. ब्रह्म पुराण – ब्रह्म पुराण सब से प्राचीन है। इस पुराण में 246 अध्याय तथा 14000 श्र्लोक हैं। इस ग्रंथ में ब्रह्मा की महानता के अतिरिक्त सृष्टि की उत्पत्ति, गंगा आवतरण तथा रामायण और कृष्णावतार की कथायें भी संकलित हैं। इस ग्रंथ से सृष्टि की उत्पत्ति से लेकर सिन्धु घाटी सभ्यता तक की कुछ ना कुछ जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
2. पद्म पुराण - पद्म पुराण में 55000 श्र्लोक हैं और यह गॅंथ पाँच खण्डों में विभाजित है जिन के नाम सृष्टिखण्ड, स्वर्गखण्ड, उत्तरखण्ड, भूमिखण्ड तथा पातालखण्ड हैं। इस ग्रंथ में पृथ्वी आकाश, तथा नक्षत्रों की उत्पति के बारे में उल्लेख किया गया है। चार प्रकार से जीवों की उत्पत्ति होती है जिन्हें उदिभज, स्वेदज, अणडज तथा जरायुज की श्रेणा में रखा गया है। यह वर्गीकरण पुर्णत्या वैज्ञायानिक है। भारत के सभी पर्वतों तथा नदियों के बारे में भी विस्तरित वर्णन है। इस पुराण में शकुन्तला दुष्यन्त से ले कर भगवान राम तक के कई पूर्वजों का इतिहास है। शकुन्तला दुष्यन्त के पुत्र भरत के नाम से हमारे देश का नाम जम्बूदीप से भरतखण्ड और पश्चात भारत पडा था।
3. विष्णु पुराण - विष्णु पुराण में 6 अँश तथा 23000 श्र्लोक हैं। इस ग्रंथ में भगवान विष्णु, बालक ध्रुव, तथा कृष्णावतार की कथायें संकलित हैं। इस के अतिरिक्त सम्राट पृथु की कथा भी शामिल है जिस के कारण हमारी धरती का नाम पृथ्वी पडा था। इस पुराण में सू्र्यवँशी तथा चन्द्रवँशी राजाओं का इतिहास है। भारत की राष्ट्रीय पहचान सदियों पुरानी है जिस का प्रमाण विष्णु पुराण के निम्नलिखित शलोक में मिलता हैःउत्तरं यत्समुद्रस्य हिमाद्रेश्चैव दक्षिणम्। वर्षं तद भारतं नाम भारती यत्र सन्ततिः।(साधारण शब्दों में इस का अर्थ है कि वह भूगौलिक क्षेत्र जो उत्तर में हिमालय तथा दक्षिण में सागर से घिरा हुआ है भारत देश है तथा उस में निवास करने वाले सभी जन भारत देश की ही संतान हैं।) भारत देश और भारत वासियों की इस से स्पष्ट पहचान और क्या हो सकती है? विष्णु पुराण वास्तव में ऐक ऐतिहासिक ग्रंथ है।
4. शिव पुराण – शिव पुराण में 24000 श्र्लोक हैं तथा यह सात संहिताओं में विभाजित है। इस ग्रंथ में भगवान शिव की महानता तथा उन से सम्बन्धित घटनाओं को दर्शाया गया है। इस ग्रंथ को वायु पुराण भी कहते हैं। इस में कैलास पर्वत, शिवलिंग तथा रुद्राक्ष का वर्णन और महत्व, सप्ताह के दिनों के नामों की रचना, प्रजापतियों तथा काम पर विजय पाने के सम्बन्ध में वर्णन किया गया है। सप्ताह के दिनों के नाम हमारे सौर मण्डल के ग्रहों पर आधारित हैं और आज भी लगभग समस्त विश्व में प्रयोग किये जाते हैं।
5. भागवत पुराण – भागवत पुराण में 18000 श्र्लोक हैं तथा 12 स्कंध हैं। इस ग्रंथ में अध्यात्मिक विषयों पर वार्तालाप है। भक्ति, ज्ञान तथा वैराग्य की महानता को दर्शाया गया है। विष्णु और कृष्णावतार की कथाओं के अतिरिक्त महाभारत काल से पूर्व के कई राजाओं, ऋषि मुनियों तथा असुरों की कथायें भी संकलित हैं। इस ग्रंथ में महाभारत युद्ध के पश्चात श्रीकृष्ण का देहत्याग, दूारिका नगरी के जलमग्न होने और यादव वँशियों के नाश तक का विवर्ण भी दिया गया है।
6. नारद पुराण - नारद पुराण में 25000 श्र्लोक हैं तथा इस के दो भाग हैं। इस ग्रंथ में सभी 18 पुराणों का सार दिया गया है। प्रथम भाग में मन्त्र तथा मृत्यु पश्चात के क्रम आदि के विधान हैं। गंगा अवतरण की कथा भी विस्तार पूर्वक दी गयी है। दूसरे भाग में संगीत के सातों स्वरों, सप्तक के मन्द्र, मध्य तथा तार स्थानों, मूर्छनाओं, शुद्ध ऐवम कूट तानो और स्वरमण्डल का ज्ञान लिखित है। संगीत पद्धति का यह ज्ञान आज भी भारतीय संगीत का आधार है। जो पाश्चात्य संगीत की चकाचौंध से चकित हो जाते हैं उन के लिये उल्लेखनीय तथ्य यह है कि नारद पुराण के कई शताब्दी पश्चात तक भी पाश्चात्य संगीत में केवल पाँच स्वर होते थे तथा संगीत की थि्योरी का विकास शून्य के बराबर था। मूर्छनाओं के आधार पर ही पाश्चात्य संगीत के स्केल बने है।
7. मार्कण्डेय पुराण – अन्य पुराणों की अपेक्षा यह छोटा पुराण है। मार्कण्डेय पुराण में 9000 श्र्लोक तथा 137 अध्याय हैं। इस ग्रंथ में सामाजिक न्याय और योग के विषय में ऋषि मार्कण्डेय तथा ऋषि जैमिनि के मध्य वार्तालाप है। इस के अतिरिक्त भगवती दुर्गा तथा श्रीक़ृष्ण से जुड़ी हुयी कथायें भी संकलित हैं।
8. अग्नि पुराण – अग्नि पुराण में 383 अध्याय तथा 15000 श्र्लोक हैं। इस पुराण को भारतीय संस्कृति का ज्ञानकोष (इनसाईक्लोपीडिया) कह सकते है। इस ग्रंथ में मत्स्यावतार, रामायण तथा महाभारत की संक्षिप्त कथायें भी संकलित हैं। इस के अतिरिक्त कई विषयों पर वार्तालाप है जिन में धनुर्वेद, गान्धर्व वेद तथा आयुर्वेद मुख्य हैं। धनुर्वेद, गान्धर्व वेद तथा आयुर्वेद को उप-वेद भी कहा जाता है।
9. भविष्य पुराण – भविष्य पुराण में 129 अध्याय तथा 28000 श्र्लोक हैं। इस ग्रंथ में सूर्य का महत्व, वर्ष के 12 महीनों का निर्माण, भारत के सामाजिक, धार्मिक तथा शैक्षिक विधानों आदि कई विषयों पर वार्तालाप है। इस पुराण में साँपों की पहचान, विष तथा विषदंश सम्बन्धी महत्वपूर्ण जानकारी भी दी गयी है। इस पुराण में पुराने राजवँशों के अतिरिक्त भविष्य में आने वाले नन्द वँश, मौर्य वँशों, मुग़ल वँश, छत्रपति शिवा जी तक का वृतान्त भी दिया गया है । सत्य नारायण की कथा भी इसी पुराण से ली गयी है। यह पुराण भी भारतीय इतिहास का महत्वशाली स्त्रोत्र है जिस पर शोध कार्य करना चाहिये।
10. ब्रह्मावैवर्ता पुराण – ब्रह्माविवर्ता पुराण में 18000 श्र्लोक तथा 218 अध्याय हैं। इस ग्रंथ में ब्रह्मा, गणेश, तुल्सी, सावित्री, लक्ष्म सरस्वती तथा क़ृष्ण की महानता को दर्शाया गया है तथा उन से जुड़ी हुयी कथायें संकलित हैं। इस पुराण में आयुर्वेद सम्बन्धी ज्ञान भी संकलित है।
11. लिंग पुराण – लिंग पुराण में 11000 श्र्लोक और 163 अध्याय हैं। सृष्टि की उत्पत्ति तथा खगौलिक काल में युग, कल्प आदि की तालिका का वर्णन है। राजा अम्बरीष की कथा भी इसी पुराण में लिखित है। इस ग्रंथ में अघोर मंत्रों तथा अघोर विद्या के सम्बन्ध में भी उल्लेख किया गया है।
12. वराह पुराण – वराह पुराण में 217 स्कन्ध तथा 10000 श्र्लोक हैं। इस ग्रंथ में वराह अवतार की कथा के अतिरिक्त भागवत गीता महामात्या का भी विस्तारपूर्वक वर्णन किया गया है। इस पुराण में सृष्टि के विकास, स्वर्ग, पाताल तथा अन्य लोकों का वर्णन भी दिया गया है। श्राद्ध पद्धति, सूर्य के उत्तरायण तथा दक्षिणायन विचरने, अमावस और पूर्णमासी के कारणों का वर्णन है। महत्व की बात यह है कि जो भूगौलिक और खगौलिक तथ्य इस पुराण में संकलित हैं वही तथ्य पाश्चात्य जगत के वैज्ञिानिकों को पंद्रहवी शताब्दी के बाद ही पता चले थे।
13. सकन्द पुराण – सकन्द पुराण सब से विशाल पुराण है तथा इस पुराण में 81000 श्र्लोक और छः खण्ड हैं। सकन्द पुराण में प्राचीन भारत का भूगौलिक वर्णन है जिस में 27 नक्षत्रों, 18 नदियों, अरुणाचल प्रदेश का सौंदर्य, भारत में स्थित 12 ज्योतिर्लिंगों, तथा गंगा अवतरण के आख्यान शामिल हैं। इसी पुराण में स्याहाद्री पर्वत श्रंखला तथा कन्या कुमारी मन्दिर का उल्लेख भी किया गया है। इसी पुराण में सोमदेव, तारा तथा उन के पुत्र बुद्ध ग्रह की उत्पत्ति की अलंकारमयी कथा भी है।
14. वामन पुराण - वामन पुराण में 95 अध्याय तथा 10000 श्र्लोक तथा दो खण्ड हैं। इस पुराण का केवल प्रथम खण्ड ही उप्लब्द्ध है। इस पुराण में वामन अवतार की कथा विस्तार से कही गयी हैं जो भरूचकच्छ (गुजरात) में हुआ था। इस के अतिरिक्त इस ग्रंथ में भी सृष्टि, जम्बूद तथा अन्य सात दूीपों की उत्पत्ति, पृथ्वी की भूगौलिक स्थिति, महत्वशाली पर्वतों, नदियों तथा भारत के खण्डों का जिक्र है।
15. कुर्मा पुराण – कुर्मा पुराण में 18000 श्र्लोक तथा चार खण्ड हैं। इस पुराण में चारों वेदों का सार संक्षिप्त रूप में दिया गया है। कुर्मा पुराण में कुर्मा अवतार से सम्बन्धित सागर मंथन की कथा विस्तार पूर्वक लिखी गयी है। इस में ब्रह्मा, शिव, विष्णु, पृथ्वी, गंगा की उत्पत्ति, चारों युगों, मानव जीवन के चार आश्रम धर्मों, तथा चन्द्रवँशी राजाओं के बारे में भी वर्णन है।
16. मतस्य पुराण – मतस्य पुराण में 290 अध्याय तथा 14000 श्र्लोक हैं। इस ग्रंथ में मतस्य अवतार की कथा का विस्तरित उल्लेख किया गया है। सृष्टि की उत्पत्ति हमारे सौर मण्डल के सभी ग्रहों, चारों युगों तथा चन्द्रवँशी राजाओं का इतिहास वर्णित है। कच, देवयानी, शर्मिष्ठा तथा राजा ययाति की रोचक कथा भी इसी पुराण में है।
17. गरुड़ पुराण – गरुड़ पुराण में 279 अध्याय तथा 18000 श्र्लोक हैं। इस ग्रंथ में मृत्यु पश्चात की घटनाओं, प्रेत लोक, यम लोक, नरक तथा 84 लाख योनियों के नरक स्वरुपी जीवन आदि के बारे में विस्तार से बताया गया है। इस पुराण में कई सूर्यवँशी तथा चन्द्रवँशी राजाओं का वर्णन भी है। साधारण लोग इस ग्रंथ को पढ़ने से हिचकिचाते हैं क्यों कि इस ग्रंथ को किसी सम्वन्धी या परिचित की मृत्यु होने के पश्चात ही पढ़वाया जाता है। वास्तव में इस पुराण में मृत्यु पश्चात पुनर्जन्म होने पर गर्भ में स्थित भ्रूण की वैज्ञानिक अवस्था सांकेतिक रूप से बखान की गयी है जिसे वैतरणी नदी आदि की संज्ञा दी गयी है। समस्त योरुप में उस समय तक भ्रूण के विकास के बारे में कोई भी वैज्ञानिक जानकारी नहीं थी। अंग्रेज़ी साहित्य में जान बनियन की कृति दि पिलग्रिम्स प्रौग्रेस कदाचित इस ग्रंथ से परेरित लगती है जिस में एक एवेंजलिस्ट मानव को क्रिस्चियन बनने के लिय त्साहित करते दिखाया है ताकि वह नरक से बच सके।
18. ब्रह्माण्ड पुराण - ब्रह्माण्ड पुराण में 12000 श्र्लोक तथा पू्र्व, मध्य और उत्तर तीन भाग हैं। मान्यता है कि अध्यात्म रामायण पहले ब्रह्माण्ड पुराण का ही एक अंश थी जो अभी एक प्रथक ग्रंथ है। इस पुराण में ब्रह्माण्ड में स्थित ग्रहों के बारे में वर्णन किया गया है। कई सूर्यवँशी तथा चन्द्रवँशी राजाओं का इतिहास भी संकलित है। सृष्टि की उत्पत्ति के समय से ले कर अभी तक सात मनोवन्तर (काल) बीत चुके हैं जिन का विस्तरित वर्णन इस ग्रंथ में किया गया है। परशुराम की कथा भी इस पुराण में दी गयी है। इस ग्रँथ को विश्व का प्रथम खगोल शास्त्र कह सकते है। भारत के ऋषि इस पुराण के ज्ञान को इण्डोनेशिया भी ले कर गये थे जिस के प्रमाण इण्डोनेशिया की भाषा में मिलते है।
हिन्दू पौराणिक इतिहास की तरह अन्य देशों में भी महामानवों, दैत्यों, देवों, राजाओं तथा साधारण नागरिकों की कथायें प्रचिलित हैं। कईयों के नाम उच्चारण तथा भाषाओं की विभिन्नता के कारण बिगड़ भी चुके हैं जैसे कि हरिकुल ईश से हरकुलिस, कश्यप सागर से केस्पियन सी, तथा शम्भूसिहं से शिन बू सिन आदि बन गये। तक्षक के नाम से तक्षशिला और तक्षकखण्ड से ताशकन्द बन गये। यह विवरण अवश्य ही किसी ना किसी ऐतिहासिक घटना कई ओर संकेत करते हैं।
प्राचीन काल में इतिहास, आख्यान, संहिता तथा पुराण को ऐक ही अर्थ में प्रयोग किया जाता था। इतिहास लिखने का कोई रिवाज नहीं था और राजाओ नें कल्पना शक्तियों से भी अपनी वंशावलियों को सूर्य और चन्द्र वंशों से जोडा है। इस कारण पौराणिक कथायें इतिहास, साहित्य तथा दंत कथाओं का मिश्रण हैं।
ध्यान देने योग्य बात:-
रामायण, महाभारत तथा पुराण हमारे प्राचीन इतिहास के बहुमूल्य स्त्रोत्र हैं जिन को केवल साहित्य समझ कर अछूता छोड़ दिया गया है। इतिहास की विक्षप्त श्रंखलाओं को पुनः जोड़ने के लिये हमें पुराणों तथा महाकाव्यों पर शोधकरना होगा|

मशहूर

मशहूर

✍ बाहर  बारिश  हो  रही  थी, और अन्दर  क्लास  चल रही  थी.
तभी  टीचर  ने  बच्चों  से  पूछा - अगर तुम  सभी  को  100-100 रुपया  दिए जाए  तो  तुम  सब  क्या  क्या खरीदोगे ?

किसी  ने  कहा - मैं  वीडियो  गेम खरीदुंगा..

किसी  ने  कहा - मैं  क्रिकेट  का  बेट खरीदुंगा..

किसी  ने  कहा - मैं  अपने  लिए  प्यारी सी  गुड़िया  खरीदुंगी..

तो, किसी  ने  कहा - मैं  बहुत  सी चॉकलेट्स  खरीदुंगी..

एक  बच्चा  कुछ  सोचने  में  डुबा  हुआ  था 
टीचर  ने  उससे  पुछा - तुम 
क्या  सोच  रहे  हो, तुम  क्या खरीदोगे ?

बच्चा  बोला -टीचर  जी  मेरी  माँ  को थोड़ा  कम  दिखाई  देता  है  तो  मैं अपनी  माँ  के  लिए  एक  चश्मा खरीदूंगा !

टीचर  ने  पूछा  -  तुम्हारी  माँ  के  लिए चश्मा  तो  तुम्हारे  पापा  भी  खरीद सकते  है  तुम्हें  अपने  लिए  कुछ  नहीं खरीदना ?

बच्चे  ने  जो  जवाब  दिया  उससे टीचर  का  भी  गला  भर  आया !

बच्चे  ने  कहा -- मेरे  पापा  अब  इस दुनिया  में  नहीं  है 
मेरी  माँ  लोगों  के  कपड़े  सिलकर मुझे  पढ़ाती  है, और  कम  दिखाई  देने  की  वजह  से  वो  ठीक  से  कपड़े नहीं  सिल  पाती  है  इसीलिए  मैं  मेरी माँ  को  चश्मा  देना  चाहता  हुँ, ताकि मैं  अच्छे  से  पढ़  सकूँ  बड़ा  आदमी बन  सकूँ, और  माँ  को  सारे  सुख  दे सकूँ.!

टीचर -- बेटा  तेरी  सोच  ही  तेरी कमाई  है ! ये 100 रूपये  मेरे  वादे के अनुसार  और, ये 100 रूपये  और उधार  दे  रहा  हूँ। जब  कभी  कमाओ तो  लौटा  देना  और, मेरी  इच्छा  है, तू  इतना  बड़ा  आदमी  बने  कि  तेरे सर  पे  हाथ  फेरते  वक्त  मैं  धन्य  हो जाऊं !

20  वर्ष  बाद..........

बाहर  बारिश  हो  रही है, और अंदर क्लास चल रही है !

अचानक  स्कूल  के  आगे  जिला कलेक्टर  की  बत्ती  वाली  गाड़ी आकर  रूकती  है  स्कूल  स्टाफ चौकन्ना  हो  जाता  हैं !

स्कूल  में  सन्नाटा  छा  जाता  हैं !

मगर ये क्या ?

जिला  कलेक्टर  एक  वृद्ध  टीचर के पैरों  में  गिर  जाते  हैं, और  कहते हैं -- सर  मैं ....   उधार  के  100  रूपये  लौटाने  आया  हूँ !

पूरा  स्कूल  स्टॉफ  स्तब्ध !

वृद्ध  टीचर  झुके  हुए  नौजवान कलेक्टर  को उठाकर भुजाओं में कस लेता है, और रो  पड़ता  हैं !

दोस्तों --
मशहूर  हो, मगरूर  मत  बनना
साधारण  हो, कमज़ोर  मत  बनना
वक़्त  बदलते  देर  नहीं  लगती..
शहंशाह  को  फ़कीर, और  फ़क़ीर को
शहंशाह  बनते, देर  नही  लगती ....

छोटी  सी कहानी आप  के  साथ शेयर  की🙏