Example of Lateral thinking in hindi

दोस्तों lateral think एक बहुत बड़ा topic है कई समीक्षकों ने lateral think को defind किया है। ये एक ऐसी सोच है जिसको problems को indirectly और creative ढंग से solve करती है। lateral  thinking के बहुत से examples है।
       कानपुर  में एक बड़ी factory का निर्माण हो रहा था और उस plant को बनाने के दौरान एक बड़ी समस्या थी.


वो समस्या ये थी कि एक भारी भरकम machine को plant में बने एक गहरे गढ्ढे के तल में बैठाना था लेकिन machine का भारी वजन एक चुनौती बन कर उभरा। बड़े बड़े engineer इस problem को solve नही कर पा रहे थे।

मशीन site पर आ तो गयी पर उसे 30 फीट गहरे गढ्ढे में कैसे उतारा जाये ये एक बड़ी समस्या थी !! अगर ठीक से नहीं बैठाया गया तो foundation और machine दोनों को बहुत नुकसान उठाना पड़ता।
 
    आपको बता दें कि ये वो समय था जब  बहुत भारी वजन उठाने वाली क्रेनें हर जगह उपलब्ध नहीं थीं। जो थीं वो अगर उठा भी लेतीं तो गहरे गढ्ढे में उतारना उनके बस की बात नहीं थी।

Finaly हार मानकर इस problem का solution ढूढ़ने के लिए plant बनाने वाली company ने टेंडर निकाला और इस टेंडर का नतीज़ा ये हुआ कि बहुत से लोगो ने इस machine को गड्ढे में फिट करने के लिए अपने ऑफर भेजे। उन्होंने सोचा कि कहीं से बड़ी क्रेन मंगवा कर मशीन फिट करवा देंगे। इस हिसाब से उन्होंने 25 से 30 लाख रुपये काम पूरा करने के मांगे। लेकिन उन लोगो के बीच एक बनिया था जिसने company से पूछा कि "अगर मशीन पानी से भीग जाये तो कोई समस्या होगी क्या" ?
इस पर कंपनी ने जबाव दिया कि मशीन को पानी में भीग जाने पर कोई फर्क नहीं पड़ता।
उसके बाद उसने भी टेंडर भर दिया ।

जब सारे ऑफर्स देखे गये तो  उस बनिये ने काम करने के सिर्फ 15 लाख मांगे थे , जाहिर है मशीन बैठाने का काम उसे मिल गया.
लेकिन  अजीब बात ये थी कि उस बनिये ने ये बताने से मना कर दिया कि वो ये काम कैसे करेगा, बस इतना बोला कि ये काम करने का हुनर और सही टीम उसके पास है।
उसने कहा – कम्पनी बस उसे तारीख और समय बतायें कि किस दिन ये काम करना है।

आखिर वो दिन आ ही गया. हर कोई उत्सुक था ये जानने के लिए कि  ये बनिया काम कैसे करेगा ? उसने तो साईट पर कोई तैयारी भी नहीं की थी। तय समय पर कई ट्रक उस साईट पर पहुँचने लगे। उन सभी ट्रकों पर बर्फ लदी थी, जो उन्होंने गढ्ढे में भरना शुरू कर दिया।

जब बर्फ से पूरा गढ्ढा भर गया तो उन्होंने  मशीन को खिसकाकर बर्फ की सिल्लियों के ऊपर लगा दिया।
इसके बाद एक पोर्टेबल वाटर पंप चालू किया गया और गढ्ढे में पाइप डाल दिया जिससे कि पानी बाहर निकाला जा सके. बर्फ पिघलती गयी, पानी बाहर निकाला जाता रहा, मशीन नीचे जाने लगी।

4-5 घंटे में ही काम पूरा हो गया और कुल खर्चा 1 लाख रुपये से भी कम आया।

 मशीन एकदम अच्छे से फिट हो गयी और उस बनिये ने 14 लाख रुपये से अधिक मुनाफा भी कमा लिया।

वास्तव में बिज़नेस बड़ा ही रोचक विषय है.
 ये एक कला है, जो व्यक्ति की सूझबूझ, चतुराई और व्यवहारिक समझ पर निर्भर करता है*.
*मुश्किल से मुश्किल समस्याओं का भी सरल समाधान खोजना ही एक अच्छे बिजनेसमैन की पहचान है* 
दोस्तों भारत मे horizontal और vertical thinking रखने वालों की भरमार है but अब जरूरत है lateral thinking की...
Be positive and Be lateral

तेरी फ़ितरत धोखा है...

"गर तेरी फितरत धोखा है तो प्यार मेरी मजबूरी है"

वो चाँद नहीं दिखता छत से शायद अब रात घनेरी है
वो साफ नज़र ही आये न उसके दिल में कुछ दूरी है।
जिससे तू दिल को बाँध रही वो धागा कच्ची डोरी है,
मैं तेरे बिना अधूरा हूँ तू मेरे बिन कब पूरी है,
गर तेरी फितरत धोखा है तो प्यार मेरी मजबूरी है।

जिस डोर से हम तुम बंधे रहे छोड़ी नहीं तुमने तोड़ी है,
वो डोर कहीं भी जोड़ी हो पर गाँठ लगा के जोड़ी है।
मैंने जख्मों को सिये नहीं शायद तेरी आह जरूरी है,
गर तेरी आदत ठग लेना है तो विश्वास मेरी कमजोरी है,
गर तेरी फितरत धोखा है तो प्यार मेरी मजबूरी है।

गर तेरे दिल में चोर नहीं तो आँख क्यूँ मुझसे फेरी है,
माना ये तेरी कमजोरी है, पर की तो तूने चोरी है।
तूने जज्बातों से खेला है पर मुझको आज सबूरी है,
जिसके बाँहों में आज तू है उसके चाहों में कोई और ही है,
जो भी है किया मेरे संग में वो तेरे संग भी जरूरी है,
गर तेरी फितरत धोखा है तो प्यार मेरी मजबूरी है।

अभिषेक सिंह।

जीवन का रहस्य(The Secret Of Life) Part-1

प्रस्तावना (Introduction)
      अतीत में जिन लोगों को रहस्य(secret) के बारे में जानकारी थी, वे इसकी power को स्वयं तक ही सीमित रखना चाहते थे। जिसकी वजह से power of secret समय से लोगों तक नहीं पहुंच सका।
      आजकल आम लोग काम धंधे पर जाते हैं और दिनभर गधों की तरह काम करते हैं और फिर थक हारकर शाम को घर लौट आते हैं। कुछ इसी प्रकार का daily routeen उनका जीवन भर चलता रहता है। क्योंकि बहुतों को इसकी जानकारी ही नहीं है और जिस को इधर उधर से जानकारी मिली भी वह खुद को इतना बुद्धिमान समझते थे या है कि उन्होंने कभी रहस्य का अपने जीवन में प्रयोग करना उचित नहीं समझा। अर्थात रहस्य के बारे में सिर्फ कुछ लोगों को ही ज्ञात था। ऐसे लोगो के नाम जानने की जिज्ञासा शांत करने के लिए जब हमने इतिहास टटोला तो आश्चर्यजनक result सामने आए।
  
    यह जानकर आपको हैरानी होगी कि जब हमने इतिहास को टटोला तो हमे उन महानतम व्यक्तियों के नाम ज्ञात हुए जिन्हें यह रहस्य का ज्ञान था और उन्होंने life time इसका अमल करके सब कुछ हासिल भी कर लिया इतिहास के वे महापुरुष थे प्लेटो, शेक्सपियर, न्यूटन, आइंस्टीन, चाणक्य, एडिशन, स्वामी विवेकानंद, इत्यादि।
आखिर क्या है "रहस्य"?
What is the secret of life?
हम सभी ब्रह्मांड के अभिन्न अंग हैं और एक ही ultimate power से काम करते हैं उसको energy कहते हैं
👉ब्रह्मांड में दो प्रकार के नियम कार्य करते हैं
1.गुरुत्वाकर्षण का नियम
     (Law of Gravity)
2.आकर्षण का निय
     (Law of Attraction)
         ये नियम ब्रह्मांड की हर वस्तु पर इतनी सटीकता से कार्य करते हैं कि इसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते। हम जिस रहस्य की चर्चा कर रहे हैं वह है..
"आकर्षण का नियम"
(Law of Attraction)
     Internet पर आपको इस subject से related कई video और aticles मिल जाएंगे हर किसी ने Law of attraction को अपनी बुद्धिमता के आधार पर समझाने का प्रयास किया है । यहां हम भी कुछ ऐसा ही करने जा रहे हैं।
     आपके जीवन में जो भी चीजें आ रही हैं या घटित हो रही हैं दरअसल आप उन्हें अपनी ओर attract कर रहे हैं। अर्थात जो भी आप सोच रहे हो यानी जो आपके mind में चल रहा है उसे आप धीरे-धीरे अपनी ओर attract कर रहे हैं। अगर हम इसको एक sentance में explain करे तो कुछ इस प्रकार समझ सकते है...
"आपका हर एक विचार आपके साथ भविष्य में घटित होने वाली एक वास्तविक घटना है।"
यदि आप भावनाओं को भली-भांति समझ रहे हैं तो यहां पर यह स्पष्ट हो गया है कि आपको कैसे विचार सोचने चाहिए जिससे आपके साथ वैसा ही घटित हो।
यह जीवन का रहस्य( secret of life) हर धर्म में मौजूद है। इसे सदियों पुराने ग्रंथों में पढ़ा भी जा सकता है। यह law समय के साथ शुरू हो गया था। आप यकीन करें या ना करें किंतु इसका अस्तित्व हमेशा था और हमेशा ही रहेगा। सही मायने में आकर्षण का नियम ही आपके समूचे जीवन के अनुभवों को आकार देता रहा है।
अतः इस रहस्य को समझें, मनन करें और law of attraction  को active करें और अपने  जीवन को एक नया आयाम दें ।
आकर्षण के नियम को कैसे सक्रिय करें?
आप दिन में कई बार कोई ऐसी चीज के बारे में सोंचते होंगे जिससे जिससे आप खुश नहीं हो। आप उसके बारे में जितना ज्यादा सोचते हो वह उतनी ही ज्यादा बुरी लगने लगती है।
क्या आपने सोचा🤔 ऐसा क्यों हो रहा है।
शायद नही!
तो अब सोचना शुरू कर करें !!
      ऐसा इसलिए हो हुआ क्योंकि जब आप लगातार एक ही विचार सोचते हैं और इतनी प्रबलता से सोचते हैं कि उस विचार की intensity कई लाख गुना बढ़ जाती है और law of attraction तत्काल active हो जाता है। परिणामस्वरूप आप उसी जैसे विचारों को अपनी ओर attract करने लगते हैं। बाद में यही विचार वास्तविक घटना का रूप लेकर आपके साथ घटित होने लगते हैं।
     इसका अभिप्राय बस इतना ही है की आपका वर्तमान जीवन आपके पुराने विचारों का प्रतिबिंब है। यदि आप वर्तमान में खुश नहीं हैं तो सबसे पहले खुद के विचारों को नियंत्रित करें । वे विचार अपने दिमाग में स्थापित करें जिन्हें आप चाहते हैं क्योंकि विचार ही हकीकत में बदलेंगे चाहे विचार नकारात्मक हो या सकारात्मक।
यकीन करें अब आप रहस्य सीख रहे हैं और इस पर अमल करना शुरू करें......

जारी है...
(Please wait until Part-2)

एक सच..

एक सच..

'एक सच'

ज़िन्दगी मौत के आगोश में खो रही थी,
सब खड़े असीम दुःख में रो रहे थे,
और वो बेफिक्र पड़ी सो रही थी।
न तो किसी अपनें का इन्जार था उसे
और न ही किसी से भी प्यार था उसे।
इस तरह मौत के आगे बेफिक्र पड़ी थी वो,
अभी तक वो सिर्फ रिश्ते ढो रही थी।
ज़िन्दगी मौत के आगोश में खो रही थी।

जिंदगी न जानें किस घमण्ड चूर थी,
सब कुछ यहीं छूट जाये गा मालूम था उसे,
फिर भी न जानें क्यूँ वो इतनी मगरूर थी।
जानती थी मृत्यु के आगे ढह जाना था उसे,
फिर भी न जानें क्यूँ वो इतनी ज्यादा क्रूर थी।
साँस जब तक चली वो सब समेटती रही,
मौत के बाद वो हर इक चीज उससे बहुत दूर थी।
मौत जिंदगी के सपनें सँजो रही थी,
ज़िन्दगी मौत के आगोश में खो रही थी।

मौत के बाद सायद अब जिंदगी को आराम है,
अब उसकी खोपड़ी पे चढ़े सारे बोझ गिर गए,
जिंदगी के मत्थे बचा अब नहीं कोई काम है।
हरदम हाय हाय की रट लगाती रह गयी ज़िन्दगी,
अब किसी के जुबाँ पे भी नहीं तेरा नाम है।
तुझे लगता था कि तू रुकी तो सब ठहर जायेगा,
आ के देख यहाँ पे सब कुछ चल रहा अविराम है।
जिन को देख के तू इठलाती रही वे सब झूठे हैं,
सच है अगर कुछ तो वो केवल सत्य राम नाम है।आज देखो ज़िन्दगी पूरी हो रही थी,
ज़िन्दगी मौत के आगोश में खो रही थी।

अभिषेक सिंह

प्यार की दस्तक

ये जो दिल में दस्तक दे रहीं वो हैं तेरी परछाइयाँ।
ये दूरियाँ ये फासले मेरे तेरे न दरमियाँ।
तेरी साँसों में मिलकर रहूँ
खो जाऊँ तेरे संग में,
तेरे दिल में हो अपना बसर ,
डूबूँ तेरे हर रंग में।
इस प्यार की बरसात में बहे जाये गी तनहाइयाँ,
ये जो दिल में दस्तक दे रहीं वो हैं तेरी परछाइयाँ।
ये दूरियाँ ये फासले मेरे तेरे न दरमियाँ।
जब दर्द हो तुमको कभी,
तो हमको भी अहसास हो।
अपनी मोहब्बत में हमें ,
कुछ तड़प हो कुछ प्यास हो
आकाश धरती सेे सुनें इस प्यार की ये कहानियाँ,
ये जो दिल में दस्तक दे रहीं वो हैं तेरी परछाइयाँ।
ये दूरियाँ ये फासले मेरे तेरे न दरमियाँ।
मेरे दिल की धड़कन चाहती ,
तुझमें ही धक धक धड़कना।
मेरी आँख यादों में तेरी ,
चाहे है पल पल फड़कना।
सागर की तरह हो हमारे इश्क में मन मौज़ियाँ।
ये जो दिल में दस्तक दे रहीं वो हैं तेरी परछाइयाँ।
ये दूरियाँ ये फासले मेरे तेरे न दरमियाँ।
ख्वाबों में तुझको चुनूँ,
अब तेरे ही सपनें गुनूँ।
रम जाऊँ तुझमें इस कदर,
बस तेरी धुन में मैं रहूँ।
प्रीत की धुन बज रही और सुन रहीं खामोशियाँ,
ये जो दिल में दस्तक दे रहीं वो हैं तेरी परछाइयाँ।
ये दूरियाँ ये फासले मेरे तेरे न दरमियाँ।
तेरी बाहों से पहले कभी
मुझको कहीं न घर मिले,
बस आशियाँ आगोश तेरे,
और कही न दर मिले।
मेेरी जिंदगी की साँस तेरे प्यार की गहराइयाँ,
ये जो दिल में दस्तक दे रहीं वो हैं तेरी परछाइयाँ।
ये दूरियाँ ये फासले मेरे तेरे न दरमियाँ।
अभिषेक सिंह।

जिंदगी

जिंदगी

चल करें ये दिल जो बोले सारी चिंता भूल कर,
हम बहें मद मस्त होकर मस्ती में ही झूल कर।

जो हैं मुर्झाये हुये वो फूल गिर जाये गे ही,
जिनमें भारीपन बचा न वो तो उड़ जाये गे ही।

कुछ उड़े गी रेत रिश्तों को दफन कर जाये गी,
कुछ उड़े गी धूल तुमपे वो कफ़न बन जाये गी।

हो परिष्कृत आप जिसमें पुन्य करना बंद कर दो,
जो न तर्कों में साधे वो जाप करना बंद कर दो,

जो कहें बस मैं ही सच्चा उसमें सच्चाई नहीं,
जो कहें बस मैं ही अच्छा उसमें अच्छाई नहीं।

वो तो रिश्ते ही नहीं हैं  जिसमें गहराई नहीं।
वो मोहब्बत ही नहीं है जिसमें रुसवाई नहीं।

जो हैं दिल के पास जितनें उतनी जल्दी रूठते,
जो हो सबसे खास अक्सर सबसे जल्दी टूटते।

जो हमारी नींद ले ले वो ही बस सपना हुवा,
जो हृदय की पीर समझे वो ही बस अपना हुवा।

अभिषेक सिंह।

मेरी माँ...

'माँ'
तू ही तू ,तू ही तू माँ तू ही तू.........
मेरी जिंदगी बस तू ही तू,
मेरी बंदगी बस तू ही तू,
मेरी माँ तू मेरी जान है,
मेरी हर ख़ुशी बस तू ही तू,
तू ही तू ,तू ही तू माँ तू ही तू.........
आँचल ही तेरा छाँव हो,
मेरा सर जहाँ तेरे पाँव हों।
मेरी माँ तू मेरा जहाँन है,
तेरी हर ख़ुशी मेरे दाँव हो।
तेरे रूह की मैं आरज़ू ....
तू ही तू ,तू ही तू माँ तू ही तू.........
तुम मेरे अल्लाह राम हो,
तेरी हर दुवा मेरे नाम हो,
मेरी माँ तू मेरी आयतें,
तुम मेरी चरों धाम हो।
मेरी साँसे तुमसे ही शुरू........
तू ही तू ,तू ही तू माँ तू ही तू.........
तुम मेरी हो आराधना,
तुम मेरी पूजा वंदना।
मेरी माँ तू मेरी तकदीर है,
तुम मेरे भाल की चन्दना।
मैं शरीर हूँ तू मेरी रूह.........
तू ही तू ,तू ही तू माँ तू ही तू.........
इस मार्मिक कविता के लेखक
अभिषेक सिंह